This is an attempt to express and write my first Hindi poem. Mixed with nostalgia, old memories, trying to find the purest happiness which used to soothe souls...
फिर कभी नग्मे गाऊ हमदर्द के लिए ,
दिल से निकले कुछ बातें वो कही अनकही
खो जाऊँ यहीं उन मासूम गलियों में ...
जहाँ कभी बचपन गुज़रा था |
नन्ही कलिओं से दिल भरता था ||
ये दिन गुज़र जाये युहीं ...
शाम हो गुलाबी |
फिर कभी तन्हाईयों में पुकारे ..
फीगली धुप सुरमयी |
ज़मीन की नमीं महसूस हो तभी ,
नंगे पैर चलू ओंस पर कभी ||
पलट के देखूँ कभी उन दरों - दीवारों को ,
तो मेरे होंठ मुस्कुराएं |
जज़्बात युहीं बहे चले की दिल घबराये ||
वक़्त को आज़ युहीं थाम लूँ अपने दामन में ..
कि फिर ये रात ना ढले अगली सुबह में ||
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© By Hena Ghosh
Photo Source:- Photo by Pixabay from Pexel
1 Comments
Good try 👍..💯 ...is kavita ko apni voice mein bhi share karo....🎶🎵🎼🎤....what is figli dhoop
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